शनि की साढ़ेसाती" (Shani Sade Sati) एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जो वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह के गोचर से जुड़ी हुई है। यह व्यक्ति के जीवन में आने वाला एक विशेष और चुनौतीपूर्ण काल माना जाता है।
जब शनि ग्रह जन्म कुंडली के चंद्र (Moon) राशि से:
एक राशि पहले आता है,
चंद्र राशि में प्रवेश करता है,
और फिर एक राशि आगे जाता है,
तो वह कुल 7.5 वर्षों (साढ़े सात साल) तक उस व्यक्ति को प्रभावित करता है। इसी अवधि को "शनि की साढ़ेसाती" कहा जाता है।
एक राशि में शनि लगभग 2.5 वर्ष रहता है।
तो 3 राशियाँ × 2.5 वर्ष = 7.5 वर्ष → hence the name "साढ़ेसाती"।
🌑 चंद्र राशि क्यों देखी जाती है?
क्योंकि चंद्रमा हमारे मन, भावनाएं, और मानसिक स्थिति का प्रतीक होता है। शनि एक धीमी, कर्म आधारित और अनुशासन प्रिय ग्रह है, और जब यह चंद्रमा के पास आता है, तो व्यक्ति के जीवन में मानसिक, आर्थिक, सामाजिक या पारिवारिक चुनौतियाँ आ सकती हैं।
प्रथम चरण (चंद्र से पहले वाली राशि): आम तौर पर बाहरी समस्याएं आती हैं, जैसे कार्यक्षेत्र में तनाव, खर्च बढ़ना, यात्राएँ।
द्वितीय चरण (चंद्र राशि में): मानसिक तनाव, परिवार या स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं।
तृतीय चरण (चंद्र के बाद वाली राशि): चीज़ें धीरे-धीरे सुधारने लगती हैं लेकिन अंतिम परीक्षाएं होती हैं।
🧘 क्या साढ़ेसाती हमेशा बुरी होती हैनहीं। यह एक कर्म सुधारने का समय होता है। कुछ लोगों के लिए यह समय बहुत उन्नति, ज्ञान, और आत्मिक विकास का भी हो सकता है, विशेष रूप से यदि शनि कुंडली में शुभ स्थिति में हो।
शनि मंत्र (जैसे "ॐ शं शनैश्चराय नमः") का जाप करें।
शनिवार को शनिदेव को तेल चढ़ाएं, पीपल के पेड़ की सेवा करें।
दान करें: काले तिल, कंबल, लोहे के बर्तन।
संयम, मेहनत और धैर्य रखें।
अगर चाहें तो आप अपनी कुंडली बताएं, मैं देख सकती हूँ कि आपकी साढ़ेसाती कब शुरू हुई या होगी।